जयराज सिंह मुंबई क्या मुंबई शहर अपने इतिहास के एक बड़े चक्रवात की जद में आने वाला है? भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 3 जून को मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में मूसलाधार बारिश का अलर्ट जारी किया है। दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर गहरे दबाव का क्षेत्र बन रहा है। अगले 24 घंटों में यह चक्रवाती तूफान निसर्ग के रूप में तब्दील होने वाला है। चक्रवात कितनी तीव्रता से शहर के समुद्री किनारे से टकराएगा यह अभी साफ नहीं है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एडम सोबेल ने इस चक्रवात के बारे में कुछ रिसर्च की है। मुंबई उत्तर में चक्रवात निसर्ग गहरी तीव्रता के साथ लैंडफॉल (चक्रवात के समुद्री सतह से टकराने की स्थिति) कर सकता है। साइंटिस्ट एडम सोबेल शहर से अच्छी तरह परिचित हैं। उन्होंने अपने साथियों के साथ मुंबई में चक्रवात की तैयारी पर एक अध्ययन किया है। इसके लेखक अमिताव घोष के मुताबिक शहर अब तक ऐसी आपदा से निपटने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है। हमारे सहयोगी मुंबई मिरर को ई-मेल पर दिए गए इंटरव्यू में सोबेल ने कहा है कि चक्रवात की तीव्रता कम हो गई है लेकिन शहर पर अभी खतरा टला नहीं है। मुंबई पर चक्रवात निसर्ग के कितनी तीव्रता से टकराने की संभावना है? सोबेल ने कहा, 'भारतीय मौसम विभाग चक्रवात के बारे में पूर्वानुमान और अपडेट दे रहा है। वे आधिकारिक एजेंसी हैं और मैं कोई अपना अलग से पूर्वानुमान नहीं लगा रहा हूं। मैं केवल कुछ बातें बता रहा हूं। आईएमडी के मुताबिक चक्रवात मुंबई के ठीक ऊपर है। बुधवार को यह 111 किमी प्रति घंटा की अधिकतम स्पीड से तीव्र चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। अमेरिका में इसे तेज तूफान (हरीकेन के काफी करीब) कहा जाएगा।' LIVE: उन्होंने कहा कि तूफान को ट्रैक करने के बारे में पूर्वानुमान बुरा है लेकिन इसकी तीव्रता को लेकर अच्छी खबर है। बहुत बुरी स्थिति की संभावना काफी हद तक घट गई है। हालांकि 111किमी प्रति घंटा रफ्तार की हवाएं खतरनाक हो सकती हैं। इसलिए लोगों को तेज हवाओं और जलभराव के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे हालात में मुंबई के लिए किस बात का खतरा है? शहर में चारों तरफ समुद्र है। इसके साथ ही जलभराव वाले निचले इलाके हैं। इसकी चपेट में आने वाले इलाके मसलन धारावी में कोई खास तैयारी नहीं है। यह इलाका कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित है। इसके साथ ही ऊंचाई वाले इलाके जैसे मरीन ड्राइव में भी इसका असर दिख सकता है। आधुनिक इतिहास में मुंबई शहर ने कभी चक्रवात नहीं झेला है। शहर ने 2015, 2017 और 2019 में भारी बारिश के बाद बाढ़ का सामना किया है। लेकिन यह किसी चक्रवात की वजह से नहीं था। 19वीं शताब्दी में मुंबई को किसी साइक्लोन के लैंडफॉल का सामना नहीं करना पड़ा। 1891 के बाद का जो डेटा उपलब्ध है उससे यह बात साफ है। सोबेल कहते हैं कि हाल के वर्षों में शहर में कई ऊंची-ऊंची इमारतें बनीं हैं। मुझे नहीं पता कि उन्हें बनाने में चक्रवात की तेज हवाओं का ध्यान रखा गया है या नहीं। ऐसी इमारतों में ग्राउंड फ्लोर के मुकाबले टॉप पर हवाओं से ज्यादा खतरा है। सरकारी दस्तावेजों में मुंबई पर किसी तेज चक्रवात का खतरा होने पर कोई बड़ा प्लान नहीं दिख रहा है। पढ़ें: शहर को किन सावधानियों का पालन करने की आप सलाह देना चाहेंगे? लोगों को यात्रा करने से बचना चाहिए। जरूरी सामान घर में इकट्ठा कर लेने चाहिए। चक्रवात के टकराने के बाद बिजली सप्लाई ठप हो सकती है। स्थानीय नेताओं और आपदा प्रबंधकों की सलाह का पालन करें। मुझे आशा है कि बड़े पैमाने पर लोगों को सुरक्षित ठिकाने पर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन बाढ़ के हालात में निचले इलाकों में ग्राउंड फ्लोर के लोगों को रेस्क्यू करना पड़ सकता है। चक्रवाती तूफान की तीव्रता के बारे में भारतीय मौसम विभाग के अनुमान में अंतर क्यों है? उनके अनुमान में अंतर नहीं है। दरअसल जब तक तूफान बनता नहीं है इसके बारे में औपचारिक अनुमान और चेतावनी देने की शुरुआत नहीं होती है। डिप्रेशन स्टेज पर यह पिछले 12 घंटे में पहुंचा है। यह सच है कि आईएमडी ही नहीं बल्कि दुनिया की दूसरी एजेंसियों को भी ऐसे में पूर्वानुमान लगाने में दिक्कत आती है। खतरा तब खड़ा होता है जब बनने के बाद कोई तूफान लैंड के करीब हो। ऐसे में फॉर्मेशन और लैंडफॉल के बीच बहुत कम वक्त होता है।
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