शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत में दिव्यांग महिलाओं एवं लड़कियों के लिए हिंसा का खतरा आम बात हो गई है जिसके कारण उनके आजादी से घूमने की संविधान प्रदत्त स्वंतत्रता छिनती है और सक्रिय और खुशहाल जीवन जीने की उनकी क्षमता पर असर पड़ता है।
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