स्वाति देशपांडे, मुंबई ने एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक पायलट के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज कर दिया। ये आरोप साल 2018 में सितंबर में एक महिला पायलट ने लगाए थे। पुलिस ने इस मामले में पायलट बिमल कुमार रॉय के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की बेंच ने फैसला देते हुए कहा कि घटना के समय न तो आरोपी पायलट का यौन उत्पीड़न का इरादा था और न ही उन्हें यह ज्ञान था कि उनकी गतिविधियों से इसके होने की संभावना थी। आईपीसी की धारा 354 के तहत किसी भी कृत्य को अपराध घोषित करने के लिए ये दो जरूरी शर्तें हैं। इस्तीफा देने गई थी महिला पायलट शिकायत करने वाली महिला पायलट ने आरोप लगाया था कि इस्तीफा देने के बाद जब वह अपना पहचान पत्र लौटाने के लिए एयर इंडिया के दफ्तर गई तो उससे कहा गया कि वह रॉय से उनके चेंबर में जाकर मिल ले। महिला पायलट के मुताबिक, जैसे ही वह रॉय के चेंबर में घुसी, रॉय ने उससे पूछा कि वह क्यों आई है। जब महिला पायलट इसका विडियो बनाने लगी तो रॉय ने उसे धक्का दिया, कथित तौर पर रॉय ने उसका हाथ मरोड़ा व उसके सीने को स्पर्श किया। रॉय का आरोप-विडियो बना रही थी महिला पायलट दूसरी तरफ रॉय ने इन आरोपों का विरोध करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की एफआईआर उनकी 'हताशा जताता है और पूरी तरह से काल्पनिक है'। रॉय ने आगे कहा, 'शिकायतकर्ता महिला पायलट ने मेरे चैंबर में घुसकर मुझे धमकी दी और विडियो बनाने लगीं, उन्होंने चेतावनी दी कि वह यह विडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देंगी।' अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, 'शिकायत में कहा गया है कि याचिकाकर्ता शिकायतकर्ता को विडियो बनाने से रोक रहा था, इसमें शिकायतकर्ता के सीने पर दबाव पड़ा हेागा, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उसका इरादा महिला का यौन शोषण करने का था।'
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