Saturday, July 27, 2019

बाहर पानी और अंदर सांप, ट्रेन में यूं कटे 15 घंटे

मुंबई मुंबई के वांगनी में शनिवार को बाढ़ के पानी में फंसी के यात्रियों के लिए वे 15 घंटे किसी बुरे सपने से कम नहीं थे। ट्रेन के बाहर बढ़ता उल्हास नदी का पानी और अंदर पीने के पानी की कमी से जूझते लोग जब सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे, तब जाकर राहत की सांस ले सके। हालांकि, कई ऐसे लोग थे जो अपनी मंजिल तक न पहुंच पाने पर हताश थे। यह भी पढ़ें: भूख-प्यास से परेशान ऐसे ही एक शख्स थे अपनी दादी की पहली बरसी के लिए जा रहे इंजिनियरिंग के तीसरे साल के छात्र शिवम घाडगे। शिवम ट्रेन से बाहर निकलने के बाद जल्दी-जल्दी सुरक्षित जगह पर पहुंचने के लिए चलने लगे। भूख से बेहाल शिवम को ज्यादा दुख इस बात का था कि वह घर पर पूजा में शामिल नहीं हो सके। उन्हीं की तरह मार्शल आर्ट्स एक्सपर्ट निनाद उपाध्याय भी 14 घंटे भूखे-प्यासे फंसे रहे। यह भी पढ़ें: बाहर बढ़ता पानी, अंदर सांप निनाद ने बताया कि कैसे ट्रेन के बाहर बढ़ता उल्हास नदी का जलस्तर किसी डरावने सपने जैसा था। वह सारी रात जागते रहे। बाहर पानी और अंदर भूख से लड़ते यात्रियों के बीच एक सांप पहुंचने से हड़कंप मच गया। घाटकोपर की रहनेवाली आशा वारुडे ने बताया कि किसी तरह सांप को बाहर निकाला गया। उन्हें खुशी है कि सभी यात्री सुरक्षित ट्रेन से बाहर निकाले जा सके। स्थानीय लोग मदद को जुटे जहां यह ट्रेन फंसी थी, उसके आसपास के चमटोली, जुवेली, दहिवली और तान गांवों के लोगों ने राहतकार्य में खूब योगदान दिया। पहाड़ी इलाके की जानकारी होने के कारण एजेंसियों के साथ मिलकर ऑपरेशन प्लान करने से लेकर, ट्रेन से उतरने वाले बुजुर्गों और महिलाओं का ध्यान रखने तक, गांववाले मुस्तैदी से जुटे रहे। यह भी पढ़ें: करीब 100 लोग पहुंचे चमटोली गांव के निवासी कुणाल पाटिल का कहना था कि वह सुबह 11 बजे तक पहाड़ी के 6 चक्कर लगा चुके थे और उनके हाथ दर्द होने लगे थे लेकिन उनका इरादा पक्का था कि वह लोगों की मदद करना बंद नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि आसपास के इलाकों के करीब 100 लोग मदद के लिए लगे थे। स्थानीय निवासी भूषण पाटिल ने बताया कि मिट्टी में फिसलन से निपटने के लिए मानव श्रंखला बनाकर लोगों को ऊपर पहुंचाया गया। खाने-पीने का इंतजाम बदलापुर में स्थानीय लोग यात्रियों के लिए खाना-पीना लेकर पहुंचे। पोद्दार कॉम्पलेक्स निवासी संदीप बांगर ने बताया कि स्थानीय लोगों ने चाय, पानी, खाने, फल और बिस्किट का इंतजाम किया। थेलावने टावर में रहने वाली अमृता देशमुख ने बताया कि उनकी बिल्डिंग ने यात्रियों के लिए खिचड़ी बनाकर भेजी।


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