चित्रा इससे पहले द्रौपदी की महाभारत में द्रौपदी की दृष्टि से महाभारत की कहानी लिख चुकी हैं। सीतायण उससे भी एक कदम आगे बढ़ने का अनुभव कराती है। अंग्रेजी में लिखी चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी की इस किताब का अनुवाद आशुतोष गर्ग ने किया है।
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