लखनऊअगर आपको लखनऊ विश्वविद्यालय से के तहत कोई जानकारी चाहिए तो पहले आपको साबित करना होगा कि आप भारत के नागरिक हैं। दरअसल, सूचना के लिए आवेदन करने वालों से एलयू प्रशासन नागरिक होने का प्रमाणित दस्तावेज मांग रहा है। भारत सरकार की तरफ से , मतदाता पहचान पत्र और पैन कार्ड को नागरिक होने का प्रमाणपत्र मानने से इनकार किया जा चुका है। ऐसे में आवेदक परेशान हो रहे हैं। आरटीआई के तहत सूचना न देने का यह मामला आरटीआई ऐक्टिविस्ट अजहर हुसैन की शिकायत पर 28 जनवरी को सामने आया। उन्होंने एलयू में वर्ष 2009 के बाद से अब तक पीएचडी के लिए हुए विज्ञापन और दाखिलों का ब्योरा मांगा था। इस दौरान बड़ी गड़बड़ियों की आशंका जताई। यह भी कहा गया कि पीएचडी में दाखिले खत्म होने के बाद भी चहेतों का दाखिला करवा लिया गया। हालांकि, एलयू ने सूचना देने के बजाय अजहर को पत्र भेजकर भारत का नागरिक होने का प्रमाणपत्र देने को कह दिया। अजहर के मुताबिक एलयू प्रशासन यह भी बताने को तैयार नहीं है कि नागरिकता साबित करने के लिए कौन सा दस्तावेज देना होगा? इससे पहले केकेसी के प्रफेसर रह चुके डॉ. आलोक चांटिया की आरटीआई के जवाब में भी एलयू उनसे नागरिकता का प्रमाणपत्र मांग चुका है। पीएम-सीएम से शिकायत केकेसी में वर्ष 2015 तक बतौर प्रफेसर रह चुके डॉ. आलोक चांटिया ने एलयू प्रशासन से वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्ति और उन्हें मिलने वाले वेतनमान की जानकारी मांगी थी। सूचना देने के बजाय एलयू ने 3 जनवरी को उनसे नागरिकता प्रमाणपत्र मांग लिया। इससे नाराज डॉ. चांटिया ने सीएम (योगी आदित्यनाथ) और पीएम (नरेंद्र मोदी) को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज करवाई है। सिर्फ नाम-पता जरूरी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा-6 के तहत सूचना मांगी जा सकती है। अधिनियम की धारा 6 (2) के तहत इसके लिए आवेदक का केवल नाम और पता ही पूछा जा सकता है। इसके अलावा कोई कागज या दस्तावेज की जरूरत नहीं है। कुछ जगहों पर आधार कार्ड का नंबर मांगा जा रहा था, लेकिन उसपर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 2015 में भी नाम और पते के अलावा कोई कागज या दस्तावेज की बाध्यता नहीं है।
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