हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, लखनऊ राजधानी लखनऊ में रविवार सुबह तकरीबन 6 बजकर 15 मिनट पर रणजीत बच्चन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने इस मामले की ग्राउंड जीरो से पड़ताल की तो कई अहम बातें सामने आईं। लखनऊ के ओसीआर स्थित बी-ब्लॉक में अपार्टमेंट नंबर-604 के कमरे में जब हम पहुंचे तो वहां दो लोग मौजूद थे। शनिवार को यहां पर हवन का आयोजन हुआ था। के जन्मदिन पर यह कार्यक्रम किया गया था। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक शख्स ने बताया, 'सुबह तकरीबन साढ़े 5 बजे रणजीत बच्चन अपनी पत्नी कालिंदी शर्मा और मौसेरे भाई आदित्य के साथ टहलने निकले थे। वह आमतौर पर की तरफ नहीं जाते थे। सुबह 7 बजे यहां दो पुलिस वाले आए तब जाकर पता चला कि ऐसी घटना हो गई है। हमने कालिंदी को फोन किया तो जानकारी मिली कि वह रणजीत और आदित्य से बहुत आगे चल रही थीं। उन्हें जब घटना के बारे में बताया तो वह उल्टे पांव दौड़ पड़ीं। इस घटना में रणजीत बच्चन की मौत हो गई जबकि आदित्य जख्मी हो गए।' गोरखपुर के निवासी थे रणजीत हिंदूवादी नेता को जानने वाले एक शख्स ने बताया कि रणजीत गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं जबकि कालिंदी कुशीनगर क्षेत्र की रहने वाली हैं। दोनों नैशनल लेवल के साइकलिस्ट रहे हैं। रणजीत कुछ दिनों तक समाजवादी पार्टी (एसपी) से भी जुड़े रहे। फिर उन्होंने का गठन किया। पढ़ें: तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी क्राइम स्पॉट पर जब टीम पहुंची तो यहां ग्लोब पार्क की दीवार और सड़क पर खून बिखरा हुआ था, जिसके आसपास पुलिस द्वारा घेराबंदी की गई थी। यहां पुलिस की लापरवाही के कई सबूत मिले। घटनास्थल से महज 50 मीटर की दूरी पर बने ट्रैफिक पुलिस बूथ में तैनात यातायात पुलिस के सिपाहियों ने बताया कि रात में यूपी पुलिस की पीआरवी पार्क के आसपास चक्कर लगाती है। हैरानी वाली बात तो यह भी है कि महज 100 मीटर की दूरी पर थाना हजरतगंज की स्टेडियम चौकी है। 'पत्नी से हुआ था विवाद' लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) नवीन अरोड़ा ने बताया, 'घटना में घायल उनके भाई ने पूछताछ में बताया कि पीछे से एक शख्स आया, जिसने मुंह पर शॉल डाल रखी थी। पीछे से आकर उसने पिस्टल लगाई और फोन छीनने लगा। हमने विरोध किया तो उसने गोली मार दी और फरार हो गया। हमलावर अपने साथ दोनों मोबाइल भी ले गया।' उन्होंने कहा, 'हमारी जानकारी में आया है कि रणजीत का अपनी पत्नी से भी विवाद था और इनकी पत्नी ने गोरखपुर में इनके खिलाफ महिला थाने में तहरीर भी दी थी।' पढ़ें: कालिंदी शर्मा ने प्रशासन पर उठाए सवाल घटना के बाद कालिंदी शर्मा ने सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को स्पष्ट करें कि हिंदू कैसे बचेंगे। हिंदुओं की विधवाएं कैसे रहेंगी।' उधर, घटना के बाद आक्रोशित विश्व हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की। चार पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज वारदात के बाद घटनास्थल पर फरेंसिक टीम भी पहुंची। यहां पर उन्होंने हत्या की घटना के साक्ष्य इकट्ठा किए। राजधानी लखनऊ में कमिश्नरेट प्रणाली शुरू होने और हाल ही में कार्यकारी डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की नियुक्ति के बाद हुई इस घटना को लेकर प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आननफानन लापरवाही बरतने के आरोप में चौकी इंचार्ज समेत चार पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस ने झाड़ा पल्ला घटनास्थल के नजदीक ट्रैफिक पुलिस के दो बूथ हैं। पार्क के सामने मौजूद बूथ पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मियों से जब बात की गई तो उनमें से एक ने बताया, 'यहां हमारी ड्यूटी 7 बजे से लगती है। हम यहां साढ़े 8 से 9 बजे तक आ जाते हैं।' इस पर जब अडिशनल डीसीपी पूर्णेंदु सिंह से बात की गई तो वह मामले से जुड़े सवालों से बचते नजर आए। उन्होंने कहा, 'ट्रैफिक पुलिस का काम यातायात संचालन का होता है। बाकी जिस व्यक्ति की जहां-जितने वक्त ड्यूटी होती है, वह उस वक्त वहां पहुंच जाता है।' घटना से जुड़े पांच सवाल 1- दो ट्रैफिक पुलिस बूथ, 100 मीटर पर पुलिस चौकी, फिर इतनी आसानी से हत्यारे कैसे भाग निकले? 2- कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद भी लखनऊ पुलिस की गिरफ्त से अपराधी दूर हैं, इस प्रणाली का क्या लाभ है? 3- घटनास्थल के नजदीक दो बड़े चौराहे हैं, क्या वहां CCTV उपलब्ध नहीं हैं, क्या वे काम नहीं कर रहे थे, पुलिस अबतक खाली हाथ क्यों? 4- घर में मौजूद लोगों का कहना है कि कालिंदी, रणजीत और आदित्य साथ मॉर्निंग वॉक पर निकले, वारदात के वक्त कालिंदी कहां थीं? 5- क्या हत्या के बाद मामले को लूट का रंग देने के लिए हत्यारे अपने साथ मोबाइल लेकर भाग निकले?
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