मुंबई नियंत्रण को लेकर किए जा रहे सरकार के तमाम दावों के बावजूद राज्य में टीबी मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में राज्य में टीबी के नए मामलों में 17 हजार की बढ़ोतरी हुई है। इसमें ड्रग रजिस्टेंट यानी टीबी के खतरनाक मामले भी शामिल हैं। हालांकि टीबी के बढ़ते मरीजों को लेकर प्रशासन एक अलग ही तर्क दे रहा है। प्रशासन की मानें तो जांच प्रकिया और राज्य सरकार द्वारा टीबी मरीजों की पहचान जल्दी करने को लेकर शुरू हुई पहल के कारण टीबी के छिपे मामले सामने आ रहे हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो हवा के जरिए एक से दूसरे में फैलती है। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी अस्पतालों और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े दूसरे लोगों को मरीजों को नोटिफाई करने का निर्देश दिया है। हाल ही में देशभर में टीबी मरीजों को लेकर संसद में एक आंकड़ा पेश किया गया, जिसके मुताबिक 2017 में महाराष्ट्र में उपरोक्त बीमारी के 1,92,458 मामले सामने आए थे, जो 2018 में तकरीबन 17 बढ़कर 2,09,574 हो गए। मरीजों की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र का नंबर है। 'देश के कोने-कोने से आते हैं ' मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर जब एनबीटी ने स्वास्थ्य विभाग से बात की तो अधिकारियों ने बताया कि टीबी के इलाज को लेकर मुंबई पूरे देश में जाना जाता है। यहां के बेहतरीन उपचार के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। मामलों में बढ़ोतरी संभवत: दूसरे राज्यों से यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों की संख्या के कारण है। 20 दिन में मिले 2100 मरीज महाराष्ट्र के हेल्थ कमिश्नर अनूप कुमार यादव ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में उपचार के लिए जाने वाले टीबी मरीजों को नोटिफाई करने की शुरुआत हमने सबसे पहले की थी। वहीं पिछले कुछ महीनों में टीबी मरीजों की पहचान और उपचार के लिए केंद्र सरकार ने भी कई तरह की स्कीमों की शुरुआत की है। टीबी के छिपे मामलों की पहचान के लिए हर साल हम तीन विशेष ड्राइव चलाते हैं। इस साल अप्रैल में चलाए गए इस विशेष ड्राइव के अंतर्गत हमने 20 दिन में राज्यभर में टीबी के 2100 छिपे मामलों की पहचान की है। ये मरीज टीबी के साथ जी रहे थे, हालांकि उन्हें इस बात का पता ही नहीं था।
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